BREAKING : हाईकोर्ट ने कहा- सिम्स में बदहाली, कोर्ट कमिश्नर के साथ सचिव करें निरीक्षण
बिलासपुर – सिम्स की बदहाली पर मंगलवार सुबह सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने कलेक्टर द्वारा प्रस्तुत निरीक्षण रिपोर्ट को पूरी तरह विसंगतिपूर्ण पाया। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा की युगलपीठ ने इसे एक बेहद सतही दस्तावेज बताते हुए कहा कि फोटोग्राफ में जो बदहाली दिख रही, रिपोर्ट उसके विपरीत है।
चीफ जस्टिस ने प्रदेश के चिकित्सा शिक्षा सचिव को कोर्ट द्वारा नियुक्त कमिश्नरों के साथ 26 व 27 अक्टूबर को सिम्स का विस्तृत निरीक्षण कर वास्तविक स्थिति पर रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए। प्रकरण की अगली सुनवाई 1 नवंबर को की जाएगी।
मंगलवार को हाईकोर्ट की स्पेशल डिवीजन बेंच ने अवकाश होने के बाद भी सुबह 10.30 बजे से इस जनहित याचिका पर सुनवाई की। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कलेक्टर द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट पर हैरानी जताते हुए कहा कि एक आईएएस ऑफिसर होकर भी वह प्रकरण की गंभीरता को नहीं समझ रहे हैं।
जबकि निर्वाचन आयोग ने उन्हें पूरे चुनाव की जवाबदारी भी प्रशासनिक स्तर पर सौंपी है। कलेक्टर ने सिम्स का निरीक्षण किया यह अच्छी बात है मगर यह रिपोर्ट जो कोर्ट के समक्ष रखी गई है उसमें कुछ भी साफ नहीं है। सिम्स में मरीजों की समस्या को गंभीरता से नहीं लिया गया है।
हाईकोर्ट ने वकील सूर्या डांगी, अपूर्व तिवारी और संघर्ष पाण्डेय को सिम्स के निरीक्षण के लिए कोर्ट कमिश्नर नियुक्त किया और 26 व 27 अक्टूबर को उनके साथ निरीक्षण में अतिरिक्त मुख्य सचिव के बाहर होने की स्थिति में चिकित्सा शिक्षा सचिव पी दयानन्द को उपस्थित रहने के निर्देश दिए। उल्लेखनीय है कि मीडिया में सिम्स की बदहाली पर चीफ जस्टिस ने स्वत: संज्ञान लेकर जनहित याचिका के रूप में सुनवाई शुरू की है।
कोर्ट ने कहा कि फोटोग्राफ और वीडियो क्लिप में भारी अव्यवस्था और बदहाली दिख रही। जबकि रिपोर्ट इसके बिल्कुल विपरीत है। ऐसे में मरीजों का इलाज कैसे होगा और वे कहां जाएंगे। चीफ जस्टिस सिन्हा ने वीडियो क्लिप देखते हुए कहा कि यहां का बेहद बुरा हाल है, जबकि यह मेडिकल कॉलेज भी है। मरीजों के परिजन के लिए बाहर शेड में रहने और खाना बनाने की व्यवस्था है। इस अस्पताल में मरीजों की बहुत भीड़ रहती है, वह सब दूर दूर से उपचार कराने के लिए आते हैं। सामान्य आर्थिक स्थिति के लोग प्राइवेट हॉस्पिटल नहीं जा सकते। निजी अस्पताल जैसी नहीं मगर कम से कम एक चौथाई व्यवस्था तो उसके बराबर होनी ही चाहिए।
इससे पहले शनिवार को हाईकोर्ट ने स्वास्थ्य सचिव से ही लिखित जवाब मांगा था। सचिव का जवाब नहीं देखकर चीफ जस्टिस ने पूछा, जिस पर महाधिवक्ता सतीश वर्मा ने स्पष्ट किया कि इसमें एडिशनल चीफ सेक्रेटरी रेणु पिल्लई का जवाब प्रस्तुत हुआ है, जो सचिव से बड़े पद पर हैं। हालांकि कोर्ट ने उनकी रिपोर्ट को भी अनुपयोगी पाया।
सिम्स में मरीजों के लिए किस तरह की व्यवस्था उपलब्ध है, यहां इलाज में इस्तेमाल होने वाली जरूरी मशीनें किस हद तक अपना काम कर रहीं हैं या इनमें से कितनी ठीक हैं या कितनी खराब हैं, यह बात अतिरिक्त मुख्य सचिव रेणु पिल्लई के जवाब में नहीं है। जो क्लिप आई है वह कुछ और ही कहानी कह रही है। कोर्ट ने कहा कि एसीएस पिल्लई भी शपथपत्र में वास्तविक स्थिति बताने में असफल रहीं हैं। चीफ जस्टिस ने सुनवाई में शासन की ओर से उपस्थित महाधिवक्ता से कहा कि 26 व 27 तारीख को कोर्ट कमिश्नर सिम्स के निरीक्षण पर अपने साथ टेक्निकल स्टाफ जरूर ले जाएं। इससे मेडिकल इक्विपमेंट्स की वर्किंग कन्डीशन और दूसरी जरूरी बातें साफ होंगी। स्वास्थ्य सचिव के साथ होने वाले इस निरीक्षण में सिम्स के बारे में अलग- अलग रिपोर्ट पेश करने भी कोर्ट ने कहा, इसमें वीडियो क्लिप भी अनिवार्य रूप से शामिल होंगी।