छत्तीसगढ़

ना लोटा लेके आइस; ना खटिया, इंहा आके बनगिस गौटिया !

छत्तीसगढ़ में बाहर से आए अग्रवाल (बनिया) लोगों को दाऊ यानि गौटिया का दर्जा हासिल है। इस समाज के लोग जब पलायन कर मध्य प्रदेश / छत्तीसगढ़ या उसके पहले (बरार यह प्रत्यक्ष ब्रिटिश शासित क्षेत्र था जिसे सेंट्रल प्रोविजंस या मध्य प्रांत कहते थे इसके अंतर्गत महाकौशल, विदर्भा , छत्तीसगढ़ के क्षेत्र शामिल थे इसकी राजधानी नागपुर थी तथा इसके प्रथम मुख्यमंत्री पंडित रविशंकर शुक्ल थे जो बाद में पुनर्गठित मध्य प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री भी बने) जब यहाँ आए तो इनके पास कुछ भी नहीं था। जो किया / कमाया / हड़पा सब यहीं इसी मिटटी का है …

कोरबा : छत्तीसगढ़ के राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल के नाते-रिश्तेदारों और हिस्सेदारों ने राजस्व मंत्री के इशारे पर बॉलीवुड स्टाइल में ऐसा काम कर दिया है जिसके कारण आने वाले भविष्य में वह करोड़ो-अरबों की आय अर्जित कर सके और सामान्य लोग प्रदूषण के शिकार हो, बीमारियों से कालकवलित होते रहे ! कारण, बरबसपुर में नया ट्रांसपोर्ट नगर बसाना एक सोची समझी साजिश का हिस्सा है जिसको राजस्व मंत्री ने अपने नाते रिश्तेदारों और हिस्सेदारों को लाभ पहुंचाने के लिए रचा।

आदिवासियों के नाम की जमीन गैर आदिवासियों के नाम आना कोई छोटी-मोटी बात नहीं। कोई सामान्य इंसान हो तो उसके जूते घिस जाते हैं लेकिन अनुमति नहीं मिलती, पर धन कुबेरों के लिए यह काम चुटकियों में आसान कर दिया गया और आदिवासियों की जमीन न जाने कब गैर आदिवासियों के नाम धड़ाधड़ चढ़ गई। राजस्व अमले का दुरुपयोग करना कोई सीखे तो राजस्व मंत्री से…

आदिवासियों की करोड़ों की जमीन कौड़ियों के भाव खरीद ली

इनके द्वारा सुनियोजित तरीके से ग्राम बरबसपुर स्थित भूमि ख.नं. 170/2, 208, 257/1, 257/2, 271, 34/3, 55/2, 57/9, 60/1, 63/1, 227, 228/1, 228/2, 234/1, 339, 288/1, 288 / 2,288 / 3 (1) लगभग 25 एकड़ जमीन मेसर्स गोल्डन की प्रोजेक्ट भागीदार रिशु अग्रवाल, रोहित अग्रवाल, आशीष भावनानी, महेश भावनानी (2) मेसर्स एम.एम. इन्फ्राटेक (3) मेसर्स शांति इंजिकॉन प्रा. लि. भागीदार श्रीमति प्रियंका अग्रवाल पति श्री रोहित अग्रवाल, महेश भावनानी (4) मेसर्स कोरबा निर्माण भागीदार महेश भावनानी, रिशु अग्रवाल एवं अन्य के नाम पर राजस्व अभिलेख में दर्ज कराई गई है।

 

उक्त आवेदित भूमि पूर्व आदिवासी भूमि दर्शित है वर्तमान में यह जमीन सामान्य वर्ग के लोगों के नाम से कब और कैसे आया, यह सूक्ष्म जांच का विषय है। लगभग 25 एकड़ जमीन की खरीदी, मंत्री जयसिंह अग्रवाल के पुत्र रोहित अग्रवाल व परिवार के अन्य सदस्यों व पार्टनर के नाम पर लिया गया है। ग्राम बरबसपुर के मिशल बन्दोबस्त के अनुसार उक्त सभी जमीनें आदिवासियों के नाम पर रही हैं।

नया ट्रांसपोर्ट नगर तो अब बरबसपुर में इसलिए भी बसना संभव नहीं है
क्योंकि आगामी 30 वर्षों तक कोई भी कार्य नहीं हो सकता इसकी रिपोर्ट शासन को भी भेजी जा चुकी है।

नगर पालिक निगम कोरबा को बरबसपुर में नवीन परिवहन नगर हेतु आबंटित भूमि खसरा नंबर – 359 रकबा – 40.36 एकड़ भूमि के संबंध में कार्यालय कलेक्टर एवं जिला दण्डाधिकारी कोरबा, जिला कोरबा के आदेश कमांक – 497 / नजूल / 2020 दिनांक 09.01.2020 नियम विरुद्ध होने से निरस्त कर अन्यत्र नवीन परिवहन नगर बसाये जाने हेतु अभ्यावेदन निगम आयुक्त को सौंपा गया है।

अपने परिवार व खास को लाभ पहुंचाने जिला प्रशासन व जिला कलेक्टर तक को धमकाने से नहीं किया परहेज़,

बरबसपुर नगर पालिका क्षेत्र के अंतर्गत मसाहती ग्राम है, जिसका नक्शे का प्रारंभिक या अंतिम प्रकाशन नही हुआ है। फलस्वरूप जमीनो के वास्तविक स्थल का प्रमाणिकता संदिग्ध तथा फेर-बदल संभावित रहता है जिससे उक्त क्षेत्र में जमीन विवाद बढ़ने की पूर्ण रूपेण संभावना है। जमीन के नक्शे का प्रारंभिक व अंतिम प्रकाशन नही हुआ है, यह तथ्य जिला प्रशासन भी स्वीकार करता है।

नवीन परिवहन नगर हेतु जिस जमीन खसरा नंबर-359 का कुल रकबा – 72.91 एकड़ है, जिसमें 40.36 एकड़ भूमि परिवहन नगर के लिए आबंटित किया गया है, शेष रकबा – 32.55 एकड़ ठोस अपशिष्ट प्रबंधन अर्थात कचरो के निपटान हेतु नगर पालिका निगम कोरबा को वर्ष 2016 में ही आबंटित किया गया है, जिसमें वर्तमान में भारी मात्रा में कचरा संकलित हो गया है तथा कचरे का ढेर हो गया है जिससे स्वास्थ्यगत् कारणो से उक्त स्थल के समीप परिवहन नगर बसाया जाना उचित नही है, साथ ही साथ स्वास्थ्य विभाग को भी इस जगह एक एकड़ जमीन दिया गया है जिसमें कोरबा जिले के सभी हॉस्पिटल से निकलने वाला वेस्टेज व मेडिकल संबंधित कचरों को यहां डिस्मेंटल किया जाता है इस संबंध में जिला स्वास्थ्य अधिकारी ने भी अपने एन.ओ. सी. में उल्लेख किया है कि यदि स्वास्थ्य के विपरित प्रभाव नही पडने पर अनापत्ति दिया जाता है।

चूँकि पूरे शहर का कचरा वहाँ एकत्रित होता है, फलस्वरूप वहाँ हवा से कचरे का दुषित प्रभाव पडना स्वाभाविक है।

एन.जी.टी. तथा स्टेट पॉलुशन कन्ट्रोल बोर्ड के मानक अनुसार भी 200 मीटर से 500 मीटर में आगामी 30 वर्षों के लिए नो डेव्हल्पमेन्ट एरिया घोषित किया गया है। चूँकि प्रस्तावित नवीन परिवहन नगर तथा ठोस अपशिष्ट प्रबंधन हेतु आबंटित भूमि एक ही खसरा नंबर अर्थात खसरा नंबर-359 का ही भाग है, फलस्वरूप दोनो योजना की भूमि एक दुसरे से सटे हुए हैं। अधिकांश वाहनो का परिचालन बालको इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन, दक्षिण-पूर्व 4 कोयला प्रक्षेत्र के कारण ही होता है।

बरबसपुर क्षेत्र वर्तमान परिवहन नगर से दक्षिण दिशा में है तथा बालको उत्तर दिशा में इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन, दक्षिण-पूर्व कोयला प्रक्षेत्र पश्चिम दिशा में स्थित है, प्रस्तावित नवीन परिवहन नगर दक्षिण दिशा में है। जिससे परिचालन के दृष्टीगत् उक्त स्थान उपयुक्त नही है। वर्तमान परिवहन नगर से उक्त प्रस्तावित नवीन परिवहन नगर जाने में तीन रेलवे कॉसिंग पार करना पडेगा तथा पूरे शहर की व्यस्तम् क्षेत्र से गुजरते हुए जाना पडेगा, जिससे नागरिको को भारी असुविधा होगी। यदि उक्त प्रस्तावित परिवहन नगर को बरबसपुर के स्थान पर बालको इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन, दक्षिण-पूर्व कोयला प्रक्षेत्र तथा शहर से कनेक्टेड सुविधा जनक स्थान पर निर्मित किया जाता है तो शहर के लोगो को रोजगार भी मिलेगा एवं शहर का विकास भी होगा।

जहां ट्रांसपोर्ट नगर बसाने की थी “स्कीम”
वहीं; कौड़ियों के भाव खरीद ली जमीन!

उपरोक्त तथ्यो को दृष्टीगत रखते हुए प्रस्तावित नवीन परिवहन नगर को शहर से कनेक्टेड सुविधा जनक स्थान पर निर्माण किया जाना जनहित में नितांत आवश्यक है, ताकी शहर के लोगो को रोजगार व्यवस्थापन तथा आने जाने में सुविधा जनक हो सके। लेकिन मंत्री जी अपने और अपनों को लाभान्वित करने के चक्कर में नया ट्रांसफोट नगर को सिर्फ बरबसपुर में ही लाना चाहते थे जिसके लिए उन्होंने जिला कलेक्टर को भी धमकाने से नहीं रूके जिसका खामियाजा कोरबा शहर की जनता भोग रही है अगर जनहित में मंत्री जी सोचें रहते तो अभी तक नया ट्रांसफोट नगर का सौगात कोरबा की जनता को मिल चुका होता पर मंत्री जी तो अपने लोगों की जमीन के पास ही ट्रांसफोट नगर बसाने पर अडे रहे जिससे उनके परिवार और उनके लोगों को करोड़ों अरबों का लाभ हो सके।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button