छत्तीसगढ़

लखन को अदृश्य ईश्वरीय शक्ति पर है भरोसा, बिना नेता और कार्यकर्ता के भी जीत लेंगे कोरबा विधानसभा का चुनाव! देखिए रणनीति से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी…

कोरबा – छत्तीसगढ़ का विधानसभा इन दिनों दिलचस्प हो चला है जहां प्रदेश के सभी इलाकों में प्रत्याशी दमखम से चुनाव लड़ रहे है तो वहीं कोरबा प्रदेश का इकलौता विधानसभा होगा जहां कांग्रेस टीम के सामने अकेले भाजपा प्रत्याशी भिड़े हुए है भाजपा प्रत्याशी लखनलाल देवांगन इस कदर अकेले जूझ रहे है की उनको कार्यकर्ताओं और नेताओं की जरूरत ही महसूस नहीं हो रही है।

किसी विशेष ईश्वरीय कृपा के भरोसे बैठे लखन जीत को लेकर पूर्ण रूप से आश्वस्त है यही वजह है कि कार्यक्रताओं की लगातार नाराजगी भी उनको विचलित नहीं कर रही है। कोरबा विधानसभा के भाजपा के बड़े नेताओ ने तो पहले ही किनारा कर रखा है। कभी दिखावे के तौर पर दिख भी जाते है तो केवल महज कुछ घंटो के लिए, मीडिया भी केवल रूलिंग पार्टी के जनसंपर्क को दिखा बता अपने कार्य की खानापूर्ति कर रही है।

हालांकि मीडिया को दिखाने के लिए मसाला भी नहीं मिल रहा है। कोरबा विधानसभा के पूर्व प्रत्याशी बनवारीलाल अग्रवाल, विकास महतो समेत उनकी पूरी टीम गायब है ! पूर्व महापौर और कोरबा लोकसभा के दावेदार जोगेश लांबा गाहे बगाहे दिख जाते है लेकिन टीम गायब रहती है। पिछले ढाई महीने में लखन अब तक जिले के सबसे छोटे विधानसभा क्षेत्र का दौरा नहीं कर सके है।

जबकि जिस समय लखन को टिकट मिला था उस दौर में मौजूदा स्थानीय विधायक की निष्क्रियता को लेकर लोगो में जमकर नाराजगी थी लेकिन लखन खुद को खरगोश समझ सोते ही रह गए और कछुआ की चाल चल मौजूदा विधायक जयसिंह अग्रवाल नाराज़ लोगो को मनाने में काफी हद तक सफल हो गए है।

फंड की कमी आ रही रोड़ा

लखन को शहर में किसी ने पैसे से मदद नहीं की न ही पार्टी फंड से कोई सहायता मिली यहीं वजह है कार्यकर्ताओं को कैंपेनिंग करने मदद नहीं की जा रही है। जो कट्टर कार्यकर्ता है वो खुद के खर्चे से दौड़ रहे है वहीं भाजपाई पार्षदों और पार्षद का चुनाव लडने वाले भाजपाइयों को कोई पूछ नहीं रहा है। चर्चा तो ये भी है लखन लोगो को नरेंद्र से मिलने बोलते है लेकिन नरेंद्र से संपर्क करने पर वो इतना व्यस्त है कि किसी के फ़ोन का जवाब तक नहीं देता है। चुनाव संचालक भी अपने में ही मस्त है !

समय की कमी आ रही आड़े

जानकर बताते है कि लखन के दिन की शुरुवात सुबह 11 बजे के बाद होती है, शाम ढलते ही उनको घर की याद आ जाती है। ऐसे में दो वार्ड का दौरा भी पूर्ण रूप से पूरा नहीं हो पाता है। साथ के लोग इस कदर नीरस है कि किसी वार्ड में जाने से पूर्ण रूप से वार्ड भ्रमण का मौका ही नहीं देते है और दूसरे वार्ड ले जाते है। जैसे लखन विधानसभा नहीं बल्कि लोकसभा चुनाव लड़ रहे हो।

स्मृति ईरानी बढ़ा सकती थी कुछ वोट¨

कोरबा में केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी का दौरा निरस्त होने से भी भाजपा प्रत्याशी को नुकसान हुआ है। एक समय हर घर की पसंद स्मृति कम से कम 5 हजार वोटों का लाभ दिला सकती थी लेकिन अब वो भी नहीं आई। ऐसे में अब मोदी, योगी का ही सहारा बचा है। अगर वो भी नहीं आए तो जीत की राह भाजपा के लिए काफी मुश्किल होगी और कांग्रेस इस सीट पर चौथी बार काबिज हो जायेगी।

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