छत्तीसगढ़

नक्सल बुलेट के आगे बैलेट पड़ा भारी, 60 हजार जवानों की सुरक्षा में हुआ 72.65 प्रतिशत मतदान

जगदलपुर। बस्तर में नक्सलियों की बंदूक पर बैलेट भारी पड़ा है। इस बार सुरक्षा बल के 60 हजार जवानों की सुरक्षा में मतदान हुआ। सुरक्षा बल का प्रभाव बढ़ने से यहां मतदान का प्रतिशत कहीं घटा तो कहीं बढ़ा है। इस बार बस्तर संभाग के 20 सीटों पर 72.65 प्रतिशत मतदान हुआ। छत्तीसगढ़ में विधानसभा के प्रथम चरण के मतदान में बस्तर संभाग की सभी 12 सीटों समेत दुर्ग संभाग की नक्सल प्रभावित मोहला-मानपुर सीट पर भी इस बार नक्सल प्रभाव कम नजर आया।

अब तक नक्सली अपने प्रभाव वाले क्षेत्र में निजी स्वार्थ के लिए ग्रामीणों को किसी पार्टी विशेष या प्रत्याशी के लिए वोट डालने दबाव बनाते थे। इस वजह से बस्तर का चुनावी परिणाम भी अब तक अप्रत्याशित ही देखने को मिलता रहा है। बता दें कि बस्तर संभाग में पिछले चार वर्ष में 65 से अधिक सुरक्षा बल के कैंप खोले गए है। इससे नक्सलियों पीछे हटना पड़ा है।

पिछले कुछ वर्ष में छत्तीसगढ़ में सक्रिय नक्सल संगठन दंडकारण्य स्पेशनल जोनल कमेटी के कई बड़े नक्सली नेता के मारे जाने के बाद भी नक्सल संगठन कमजोर हुआ है। इसके बाद यहां ऐसा पहली बार है, जब नक्सली बुलेट के आगे बस्तर में बैलैट भारी पड़ता दिखाई दिया है। इससे निष्पक्ष मतदान की उम्मीदें भी बढ़ी है। नक्सली प्रभाव घटने के बाद बस्तर संभाग में निर्वाचन आयोग ने 126 नए कैंप मतदान केंद्र मूल गांव में खोले। इनमें ऐसे 40 विस्थापित केंद्र भी हैं, जो मूल गांव में स्थापित किए गए हैं। ऐसे मतदान केंद्र में वोट प्रतिशत बढ़ा है।

मतदान प्रतिशत पर एक नजर

 

चित्रकोट के विस्थापित मतदान केंद्र कलैपाल में 2018 में मतदान प्रतिशत 3.68 था, जो इस वर्ष 65.30 प्रतिशत रहा। केशकाल के विस्थापित मतदान केंद्र कूए व भंडारपाल में 2018 लोकसभा चुनाव में मतदान प्रतिशत शून्य था, जो इस वर्ष उसी गांव में स्थापित होने से बढ़कर 72.41 व 83.68 प्रतिशत हो गया है। जगदलपुर विधानसभा के चांदामेटा में मतदान प्रतिशत 62.90 रहा। कांकेर विधानसभा चिवराज में 90.45 प्रतिशत, पथर्रीनाला 92.20 प्रतिशत, महेशपुर , 96.09 प्रतिशत, रावस में 91.13 प्रतिशत रहा है। इन सभी गांव में पहली बार मतदान केंद्र खोला गया था। कोंटा के मानकापाल में 2018 में मतदान प्रतिशत 7.61 था जो अब बढकर 70.02 हो गया है। करिगुन्डम में मतदान का प्रतिशत 1.98 से बढकर 68.22 दर्ज किया गया है।

बड़े नक्सल नेताओं के मारे जाने का असर

राजनीतिक दल और नक्सल संगठन के मध्य अघोषित संबंध का प्रभाव चुनाव पर पड़ने की बात अक्सर सामने आती रही है, पर पिछले चार-पांच वर्ष में छत्तीसगढ़ सहित पड़ोसी राज्य तेलंगाना, ओडिशा, आंध्रप्रदेश में सक्रिय नक्सल संगठन दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी के कई बड़े नेता के मारे जाने के बाद अब ऐसा कोई समर्पित नेता नहीं दिखता जो चुनाव को प्रभावित करने की क्षमता रखता हो। विगत चार-पांच वर्ष में दंडकारण्य स्पेशनल जोनल कमेटी के सचिव व केंद्रीय समिति के सदस्य रमन्ना, ओडिशा स्टेट कमेटी सचिव रामकृष्ण, केंद्रीय प्रादेशिक ब्यूरो प्रभारी करकम सुदर्शन व तेलंगाना स्टेट समिति सचिव व केंद्रीय समिति के सचिव हरिभूषण की मौत हुई है।
विधानसभावार मतदान (प्रतिशत में)

 

 

विधानसभा 2018 2023
अंतागढ़ 75.21 78.04
भानुप्रतापपुर 77.58 80.00
कांकेर 79.11 79.05
केशकाल 81.81 81.79
कोंडागांव 83.69 81.73
नारायणपुर 75.03 72.98
बस्तर 83.37 84.65
जगदलपुर 78.40 78.02
चित्रकोट 80.69 80.36
दंतेवाड़ा 60.64 67.71
बीजापुर 48.90 46.00
कोंटा 55.30 61.50
कुल मतदान 73.31 72.65

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