छत्तीसगढ़

CG NEWS : यहां वोटिंग प्रतिशत बढ़ाने के साथ हाथियों से बचाने की भी चिंता

अंबिकापुर। शत-प्रतिशत मतदान की कवायद में जुटे प्रशासनिक व निर्वाचन अमले को उत्तरी व मध्य छत्तीसगढ़ में एक और कवायद भी करनी पड़ रही है। दरअसल, सरगुजा व बिलासपुर वनवृत्त के जंगल में 300 से अधिक हाथी स्वच्छंद विचरण कर रहे हैं। जबकि कई पोलिंग बूथों में विभिन्न गांवों और टोलों से मतदाता जंगल पार कर पहुंचेंगे।

हाथी विचरण क्षेत्र के नजदीक शासकीय भवनों को मतदान केंद्र बनाया गया है। इन भवनों के आसपास तक जंगली हाथियों का विचरण होता है। ऐसे में निर्वाचन कार्य में जुटे वनकर्मी न सिर्फ लोगों को हाथियों से सतर्क कर रहे हैं, बल्कि यह भी बता रहे हैं कि दोपहर तीन बजे तक वे मतदान कर लें, ताकि शाम को हाथियों से खतरा न रहे।

हाथियों के व्यवहार के अध्ययन से यह पता चल चुका है कि दिनभर जंगल में रहने वाले हाथी शाम ढलने से पहले ही बाहर निकलना शुरू कर देते हैं। इसलिए मतदान आरंभ होने के साथ ही ज्यादा से ज्यादा मतदाताओं को केंद्रों तक लाने मैदानी कर्मचारियों को प्रेरित किया गया है। इसके साथ ही प्रतिदिन शाम को आकाशवाणी से प्रसारित हाथी समाचार में भी मतदाताओं को हाथियों का लोकेशन बताकर सतर्क किया जा रहा है।

उत्तर व मध्य छत्तीसगढ़ में जंगली हाथियों के कारण सीधे तौर पर लगभग दो सौ ग्राम प्रभावित हैं। इन ग्रामों में लगभग दो लाख मतदाता हैं। जंगली हाथियों के कारण एक भी मतदाता मतदान से वंचित न हो इसके लिए वनमण्डल स्तर पर प्रतिदिन शाम को जंगली हाथियों की उपस्थिति,उनके विचरण क्षेत्र के साथ जागरूकता के लिए जारी प्रयासों की समीक्षा हो रही है।

ये उपाय किए जा रहे

 

    • सुबह से जंगली हाथियों की निगरानी मैदानी कर्मचारियों से कराई जा रही है।
    • दल में भ्रमण करने वाले जंगली हाथियों का विचरण क्षेत्र देखा जा रहा है।
    • जंगल से निकलकर अमूमन हाथी किस क्षेत्र में कितना समय गुजार रहे हैं इसका अध्ययन किया जा रहा है।
    • संभावित संकट से निपटने हाथियों के विचरण क्षेत्र के लोगों को जागरूक किया जा रहा है।
    • हाथी मित्र दलों की संख्या बढ़ा दी गई है।
    • ग्रामीणों में विश्वास जगाया जा रहा है कि शासकीय अमला सजग व सतर्क है। मतदान में कोई दिक्कत नहीं आएगी। पसंदीदा आहार के लिए जंगल से निकलते हैं हाथी हाथी भी सामाजिक प्राणी होता हैं। इंसानों की तरह इन्हें भी कुछ आहार पसंद है। जंगलों में एक ही प्रकार का चारा होने के कारण हाथी इस सीजन में बाहर निकलते हैं। खेतों में धान , बाड़ियों में हरी सब्जियां , गन्ना और केला इन्हें पसंद है। ये सारी फसलें इसी सीजन में मिलती है इसलिए जंगली हाथियों का विचरण आबादी क्षेत्रों के आसपास बढ़ जाता है।इसी सीजन में हाथियों से खतरा भी अधिक रहता है।

कहां कितने हाथी

 

सरगुजा वनमंडल – 00 0 कोरिया वनमंडल – 02 0 सूरजपुर वनमंडल-24 0 बलरामपुर वनमंडल-09 0 जशपुर वनमंडल-11 0 धरमजयगढ़ वनमंडल- 111 0 कोरबा वनमंडल-01 0 कटघोरा वनमंडल-49 0 रायगढ़ वनमंडल -11 0 सारंगढ़-बिलाईगढ़ -24 0 सरगुजा वनवृत्त के गुरुघासीदास राष्ट्रीय उद्यान (कोरिया-सूरजपुर जिला)- 13 0 एलीफैंट रिजर्व सरगुजा (जशपुर,सूरजपुर,बलरामपुर जिला)- 46 0 अचानकमार टाइगर रिजर्व (बिलासपुर-जीपीएम जिला)- 05 ( नोट-गुरुघासीदास राष्ट्रीय उद्यान,एलीफैंट रिजर्व सरगुजा तथा अचानकमार टाइगर रिजर्व के हाथी भी निकलते हैं आबादी क्षेत्र की ओर) वर्जन जंगली हाथियों की नियमित निगरानी की जाती है।

इसे और प्रभावी बनाया गया है। हाथी मित्र दलों में सदस्यों की संख्या भी बढ़ाई गई है। हम प्रतिदिन विभागीय अधिकारियों के साथ हाथियों के मूवमेंट और सुरक्षा पर चर्चा कर रणनीति बनाकर कार्य कर रहे हैं। वह सारी व्यवस्था सुनिश्चित की गई है जिसमें हाथियों के कारण किसी भी मतदाता को किसी प्रकार की कोई परेशानी नहीं होगी। हाथी प्रभावित क्षेत्र के मतदाता भी बिना भय के केंद्रों में जाकर मतदान कर सकेंगे। नावेद सुजाउद्दीन मुख्य वन संरक्षक सरगुजा वनवृत्त

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