छत्तीसगढ़

KORBA: एक माह के भीतर दूसरी बार डी-रेल हुई मालगाड़ी, लदान बाधित होने से नुकसान

कोरबा I गेवरारोड रेलखंड के कोल साइडिंग पर एक माह में दूसरी बार मालगाड़ी के डी-रेल की घटना हुई है। दुर्घटना पर अंकुश लगाने को लेकर अफसर गंभीर नहीं हैं। रेल लाइन की सफाई में लापरवाही बरती जा रही है। इससे एसईसीएल व रेलवे प्रबंधन को नुकसान हो रहा है। बताया जा रहा है कि सोमवार की सुबह लगभग चाढे़ चार बजे रेलखंड कोरबा के जूनाडीह साइडिंग पर कोयला लदान के लिए मालगाड़ी को प्लेस किया जा रहा था।

रैक की सभी वैगन आगे बढ़ गई, लेकिन सबसे पीछे के एक वैगन का चार पहिया पटरी से नीचे उतर गया। चारों पहिए वैगन के पीछे की है। मौजूद कर्मचारियों ने आनन-फानन में मामले की जानकारी रेलवे व एसईसीएल के अफसरों को दी। घटना के बाद दोनों प्रबंधन में हड़कंप मच गया। अफसर व कर्मचारी मौके पर पहुंचे। वैगन को पटरी पर चढ़ाने और मरम्मत का काम शुरू किया गया। लगभग चार घंटे तक कर्मचारियों की कड़ी मशक्कत के बाद सुबह लगभग साढे़ आठ बजे लाइन को बहाल किया जा सका। इस समयावधि में रेल लाइन पर मालगाड़ी से कोयला परिवहन बाधित रहा। लगभग दो से तीन रैक पर लदान का कार्य प्रभावित हुआ। इससे रेलवे व एसईसीएल प्रबंधन को काफी नुकसान हुआ है। नुकसानी का आंकलन अभी तक स्पष्ट नहीं हो सका है।

रेलवे अफसर नुकसानी के आंकलन में जुटे हुए हैं। हालांकि अफसर अधिक नुकसान नहीं होने का हवाला दे रहे हैं। दुर्घटना की वजह साइडिंग पर रेल लाइन की नियमित रुप से सफाई नहीं होने को बताया जा रहा है। इस कारण लगातार मालगाड़ी के डी-रेल के मामले सामने आ रहे हैं। इसके पहले 26 अक्टूबर को भी दीपका साइडिंग के सिरकी के पास मालगाड़ी डी-रेल हो गई थी। दुर्घटना इतनी बड़ी थी कि लगभग पांच वैगन के पहिए पटरी से नीचे उतर गए थे। इसे बहाल करने में कर्मचारियों को लगभग 16 घंटे से अधिक का समय लगा था।

साइडिंग पर कोल डस्ट बढ़ा रही परेशानी

साइडिंग पर कोल डस्ट प्रबंधन की सबसे बड़ी परेशानी बनी हुई है। प्रबंधन ने साइडिंग के रेल लाइन पर कोल डस्ट की सफाई के लिए करोड़ों रुपए में एक निजी कंपनी को ठेका दिया है, लेकिन कंपनी इसे गंभीरता से नहीं ले रही है। रेल लाइन पर कोल डस्ट जमी रहती है। इससे बड़े हादसे की आशंका बनी रहती है। बावजूद इसके ठेका कंपनी सफाई को लेकर लापरवाही बरत रही है।

अव्यवस्था से लदान में आई कमी

रेलवे प्रबंधन के स्थानीय अफसरों पर कोयला लदान को लेकर दबाव है। रेलखंड कोरबा के गेवरा, दीपका, जुनाडीह व कुसमुंडा साइंडिग से रोजाना 45 से अधिक रैक कोयला परिवहन किया जा रहा है। हालांकि लक्ष्य अधिक की है। अव्यवस्था की वजह से लदान की तेजी में कमी आई है। इधर रेलवे प्रबंधन ने समय और रैक बचाने के लिए लॉगहॉल यानी दो मालगाड़ियों को जोड़कर शहर के बीच रेल लाइन पर दौड़ाई जा रही है।

दफ्तर में बैठकर कर रहे निगरानीकोरबा रेलखंड के अफसर साइडिंग पर साफ-सफाई और कोयला लदान की निगरानी फिल्ड के बजाए दफ्तर में बैठकर कर रहे हैं। ठेका कंपनियां इसका फायदा उठा रहीं है। रेल लाइन पर कोल डस्ट के जमाव की वजह से लदान की प्रक्रिया धीमी गति से चल रहा है। इसका असर कोयला ढुलाई पर पड़ने लगा है।

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