‘आयुष्मान कार्ड होते हुए भी पैसा देकर कराना पड़ता है इलाज’, बीजेपी सांसद हेमा मालिनी ने संसद में उठाया मुद्दा

लोकसभा में बीजेपी सांसद हेमा मालिनी ने स्वास्थ्य को लेकर केंद्र की योजना आयुष्मान भारत को लेकर सवाल पूछा. मथुरा से सांसद हेमा मालिनी ने पूछा कि आयुष्मान कार्ड होते हुए भी पैसे देकर लोगों को इलाज कराना पड़ता है, बेड की कमी है. सासंद के इस सवाल पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने जवाब दिया.
स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने हेमा मालिनी के सवाल के जवाब में कहा, आयुष्मान भारत लगभग 63 करोड़ लोगों को लाभ पहुंचा रहा है. अगर कोई केस हो तो आप मुझे अलग से बता दें, लेकिन 63 लोगों को इस स्कीम के तहत फायदा मिल रहा है. साथ ही यह दुनिया का सबसे बड़ा हेल्थ कवरेज प्रोग्राम है.
हेमा मालिनी ने क्या सवाल किया
सांसद ने संसद में सवाल पूछते हुए कहा कि 50 करोड़ लाभार्थियों के साथ आयुष्मान भारत योजना स्वास्थ्य के लिए दुनिया की सबसे बड़ी योजना है, लेकिन फिर भी इस में बहुत सारी शिकायतें हैं. शिकायत यही है कि लाभार्थी के पास आयुष्मान कार्ड होने के बावजूद भी बेड नहीं होने या फिर जरूरी दस्तावेज नहीं होने की वजह बताकर अस्पताल मरीज का इलाज करने से मना कर देता है.
उन्होंने आगे कहा, इसी की वजह से लोग आयुष्मान कार्ड होने के बाद भी जरूरतमंद लोग पैसे देकर उसी अस्पताल में इलाज कराने के लिए मजबूर हो जाते हैं. साथ ही उन्होंने सवाल पूछा, क्या स्वास्थ्य के विभिन्न क्षेत्रों में सुधार और प्रगति हुई है? मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य (maternal and child health), बीमारियों का खात्मा ( Elimination Of Diseases) और स्वास्थ्य देखभाल का बुनियादी ढांचे में (Healthcare Infrastructur) देश में क्या प्रगति हुई है.
जेपी नड्डा ने क्या जवाब दिया?
इस सवाल के जवाब में स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने लिखित जवाब दिया. मंत्री ने कहा, आयुष्मान योजना में स्वास्थ्य देखभाल में सुधार हुआ है. साथ ही जो लोग हाशिए पर हैं, ग्रामीण क्षेत्र से हैं उन लोगों को इस योजना ने फायदा पहुंचाया है. इस योजना के तहत 0.09.2024 तक, लगभग 5.19 लाख स्वास्थ्य कर्मचारियों को कॉन्ट्रैक्ट पर रखा गया है.
मौजूदा उप-स्वास्थ्य केंद्रों (एसएचसी) को अपग्रेड करके 1,76,573 आयुष्मान आरोग्य मंदिर (एएएम) और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) बनाए गए हैं जो लोगों को सहायता दे रहे हैं. साथ ही रोकथाम और गैर-संचारी बीमारियों का नियंत्रण (Prevention and Control of Non-Communicable Diseases) करने के लिए 770 जिला एनसीडी क्लिनिक बनाए गए हैं, 372 जिला डे केयर सेंटर, 233 कार्डियक केयर यूनिट और 6410 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र स्थापित किए गए हैं. साथ ही जवाब में मातृ और शिशु की हेल्थ को लेकर बताया गया है कि
- मातृ मृत्यु अनुपात (एमएमआर) (Maternal Mortality Ratio) 2014-16 में 130/लाख जीवित जन्मों से घटकर साल 2018-19 में 97/लाख जीवित जन्म हो गया है.
- शिशु मृत्यु दर (आईएमआर) 2014 में प्रति 1000 जीवित जन्मों पर 39 से घटकर प्रति 1000 जीवित जन्मों पर साल 2020 में 28 हो गया है.