नेशनल

New Delhi : सुप्रीम कोर्ट ने गोधरा कांड के बाद हुए दंगों के मामले में छह आरोपियों को किया बरी

नई दिल्ली,22 मार्च 2025। सुप्रीम कोर्ट ने 2002 में गोधरा कांड के बाद हुए दंगों से जुड़े एक महत्वपूर्ण मामले में छह आरोपियों को बरी कर दिया है। अदालत ने कहा कि किसी व्यक्ति का केवल घटनास्थल पर उपस्थित होना या वहां से गिरफ्तार किया जाना यह साबित करने के लिए पर्याप्त नहीं है कि वह अवैध भीड़ का हिस्सा था।

न्यायमूर्ति पी.एस. नरसिम्हा और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने गुजरात हाईकोर्ट के 2016 के फैसले को अस्वीकार कर दिया, जिसमें छह व्यक्तियों को दोषी ठहराया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में स्पष्ट किया कि जब तक किसी आरोपी के खिलाफ ठोस सबूत न हों, तब तक उसे दोषी नहीं ठहराया जा सकता।

निचली अदालत ने सभी 19 आरोपियों को किया था बरी

इस मामले में निचली अदालत ने 2003 में दिए अपने फैसले में सभी 19 आरोपियों को निर्दोष करार दिया था। हालांकि, गुजरात हाईकोर्ट ने 2016 में इनमें से छह लोगों को दोषी ठहराया और उन्हें एक साल की सजा सुनाई थी। एक आरोपी की सुनवाई के दौरान मृत्यु हो गई थी।

अदालत ने कहा- ठोस सबूत नहीं मिले

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 28 फरवरी 2002 को वडोदरा में हुई घटना में अपीलकर्ताओं की संलिप्तता को लेकर कोई ठोस सबूत नहीं है। न तो उनके पास से कोई विध्वंसक उपकरण मिला और न ही कोई भड़काऊ सामग्री बरामद हुई।

बेंच ने यह भी उल्लेख किया कि दंगों के दौरान पुलिस की गोलीबारी के कारण लोग भागने लगे थे। ऐसे में निर्दोष व्यक्ति को भी अपराधी समझा जा सकता है। इसलिए, केवल मौके से गिरफ्तारी यह साबित नहीं कर सकती कि आरोपी वास्तव में अपराध में शामिल था।

अदालतों को सतर्क रहने की जरूरत: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अदालतों को ऐसे मामलों में सतर्क रहने की जरूरत है और वे केवल ऐसे गवाहों की गवाही पर भरोसा न करें जो सामान्य बयान देते हैं। अदालत ने कहा कि अक्सर दंगों के दौरान कई लोग जिज्ञासावश घटनास्थल पर पहुंचते हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि वे अपराध में शामिल थे।

गुजरात हाईकोर्ट का फैसला अनुचित

बेंच ने यह भी कहा कि अभियोजन पक्ष यह साबित नहीं कर सका कि आरोपी हथियार या अन्य विध्वंसक उपकरण लेकर आए थे। कोर्ट ने यह भी माना कि आरोपी उसी गांव के निवासी थे, जहां दंगे हुए थे, इसलिए उनकी मौजूदगी स्वाभाविक थी। सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले को पूरी तरह से अनुचित करार देते हुए आरोपियों को बरी कर दिया।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button