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यूं ही नहीं ईरान उकसा रहा अमेरिका को, मिसाइल अटैक में छिपा है परमाणु बम का राज

अमेरिका और ईरान के बीच तनाव अपने चरम पर पहुंच चुका है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान को खुली धमकी दी है कि अगर उसने परमाणु समझौते को लेकर कोई रियायत नहीं दी तो उसे बमबारी का सामना करना पड़ेगा. मगर ईरान भी झुकने के मूड में नहीं है.

 

सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामनेई के सलाहकार अली लारिजानी ने अमेरिका को कड़ी चेतावनी देते हुए कहा कि अगर अमेरिका या उसके सहयोगी देशों ने ईरान पर हमला किया, तो ईरान परमाणु हथियार हासिल करने को मजबूर हो जाएगा. सवाल यह है कि ईरान अमेरिका को आंख दिखाने की हिम्मत कहां से जुटा रहा है?

ईरान के पास है रूस-चीन का सुरक्षा कवच

ईरान को इस बात का पूरा एहसास है कि अगर अमेरिका उस पर हमला करता है, तो रूस और चीन उसके साथ खड़े होंगे. अमेरिका के खिलाफ वैश्विक समीकरण में यह दो बड़े खिलाड़ी ईरान की ताकत को और मजबूत कर रहे हैं. अमेरिकी खेमे के प्रतिबंधों का जवाब देने के लिए ईरान के पास कूटनीतिक और सैन्य विकल्प मौजूद हैं.

 

ईरान की सबसे बड़ी ताकत उसका आत्मनिर्भर सैन्य तंत्र है, खासकर उसकी मिसाइल क्षमता। ईरानी इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड्स कॉर्प्स (IRGC) के वरिष्ठ कमांडर जनरल अमीर अली हाजीज़ादेह ने अमेरिका को चेतावनी देते हुए कहा है कि अमेरिका के क्षेत्र में कम से कम 10 सैन्य ठिकाने हैं, जहां 50,000 सैनिक तैनात हैं. अगर वे हम पर हमला करते हैं, तो उन्हें कड़ा जवाब मिलेगा.

ग्लास हाउस में बैठकर पत्थर मत फेंको

हाजीज़ादेह ने अमेरिका को इशारों में साफ संदेश दिया कि अमेरिका खुद भी खतरे में है. उन्होंने कहा जो लोग कांच के घरों में रहते हैं उन्हें दूसरों पर पत्थर नहीं फेंकना चाहिए. ईरान की मिसाइल ताकत पहले से ही दुनिया की नजरों में है. ऐसे में अगर अमेरिका ने ईरान पर हमला किया तो जवाबी कार्रवाई कितनी घातक हो सकती है यह समझना मुश्किल नहीं है.

संयुक्त राष्ट्र में ईरान की दो टूक चेतावनी

ईरान ने केवल बयानबाजी तक खुद को सीमित नहीं रखा है, बल्कि उसने संयुक्त राष्ट्र के जरिए भी अमेरिका को सीधी चेतावनी भेजी है. संयुक्त राष्ट्र में ईरान के राजदूत अमीर सईद इरवानी ने अमेरिका की धमकियों को गैर-जिम्मेदाराना करार देते हुए सुरक्षा परिषद को पत्र लिखा है. इस पत्र में स्पष्ट रूप से कहा गया है किअगर अमेरिका या उसका सहयोगी इस्राइल कोई आक्रामक कदम उठाते हैं, तो ईरान तुरंत और मजबूती से जवाब देगा.

ईरान का मिसाइल अटैक केवल शक्ति प्रदर्शन नहीं है, बल्कि इसके पीछे उसकी परमाणु रणनीति छिपी हुई है. अमेरिका पर दबाव बनाने के लिए ईरान यह जताने की कोशिश कर रहा है कि अगर हालात बिगड़े, तो वह परमाणु हथियार हासिल करने के लिए मजबूर होगा. यही वजह है कि अमेरिका की धमकियों के बावजूद, ईरान डरने के बजाय सीधे टकराने की तैयारी कर रहा है.

अमेरिका को ईरान के संभावित हमले की चिंता

ब्रिटिश अखबार द टेलीग्राफ की रिपोर्ट के मुताबिक, ईरान के वरिष्ठ सैन्य अधिकारी अमेरिकी सैन्य ठिकानों को निशाना बनाने की रणनीति पर पहले से काम कर रहे हैं. इस रिपोर्ट में डिएगो गार्सिया द्वीप पर स्थित अमेरिकी और ब्रिटिश सैन्य ठिकाने का खासतौर पर जिक्र किया गया है. अगर ईरान इस सैन्य अड्डे पर हमला करता है, तो यह अमेरिका के लिए एक बड़ा झटका होगा.

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