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बिना गोला-बारूद के अमेरिका-चीन में छिड़ा वॉर! भारत को फायदा होगा या नुकसान?

अमेरिका और चीन के बीच व्यापारिक तनाव हाल ही में बढ़ गया है, जिसमें दोनों देशों ने एक-दूसरे देशों पर भारी टैरिफ लगाए हैं. अमेरिका ने चीनी आयातों पर 104% तक के टैरिफ लगाए थे जिसके जवाब में चीन ने अमेरिकी उत्पादों पर 84% तक के टैरिफ की घोषणा कर दी, अब एक बार फिर अमेरिका ने टैरिफ को बढ़ाते हुए 125 फीसदी कर दिया है. अमेरिका और चीन के बीच में बिना गोला बारूद के ही वॉर छिड़ गया है. 2 की लड़ाई में हमेशा तीसरे को फायदा होता है लेकिन अब इन दोनों देशों के बीच में तीसरा कौन है जिसे फायदा हो सकता है और इसका भारत पर क्या असर पड़ेगा आइए जानते हैं?

 

चीन-अमेरिका की लड़ाई का असर

दोनों देशों की इस लड़ाई के चलते टेस्ला जैसी कंपनियां प्रभावित होंगी. वहीं, भारत को इन टैरिफ वॉर से नई संभावनाएं मिल सकती हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि अमेरिकी कंपनियों के लिए चीन का बाजार महंगा हो जाएगा, जिससे उनकी बिक्री पर असर पड़ेगा. वहीं, चीन अब यूरोपीय या घरेलू ब्रांड्स को प्राथमिकता दे सकता है, जिससे अमेरिका की दुनिया में प्रतिस्पर्धा कमज़ोर होगी. ऐसे में भारत जैसे तीसरे देश को इन टैरिफ वॉर के कारण फायदा हो सकता है. खासकर अगर कंपनियां चाइना प्लस वन रणनीति के तहत भारत की ओर रुख करें.

भारत पर क्या होगा असर?

  • आयात लागत में वृद्धि: भारत कई इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों और घटकों के लिए चीन पर निर्भर है. यदि इन उत्पादों की कीमतें बढ़ती हैं, तो भारतीय उपभोक्ताओं को अधिक कीमत चुकानी पड़ सकती है.​
  • निर्यात पर दबाव: वैश्विक व्यापार में अस्थिरता के कारण भारतीय निर्यातकों को नए बाजारों में प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ सकता है, जिससे निर्यात में कमी आ सकती है.​

ये हो सकता है फायदा

  • नए व्यापारिक अवसर: अमेरिका और चीन के बीच बढ़ते तनाव के कारण, कई कंपनियां वैकल्पिक आपूर्ति श्रृंखलाओं की तलाश में हैं. भारत इस अवसर का लाभ उठाकर एक विश्वसनीय आपूर्ति केंद्र बन सकता है.​
  • निवेश आकर्षित करना: विदेशी कंपनियां, जो चीन में निवेशित थीं, अब भारत में निवेश करने पर विचार कर सकती हैं, जिससे भारतीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा.​

चीन का भारत को आमंत्रण

चीन ने भारत से आग्रह किया है कि वे अमेरिका के “टैरिफ के दुरुपयोग” के खिलाफ एकजुट होकर खड़े हों. चीनी दूतावास के प्रवक्ता यू जिंग ने कहा, “चीन-भारत आर्थिक और व्यापारिक संबंध परस्पर लाभकारी हैं. अमेरिका के टैरिफ के दुरुपयोग का सामना करते हुए, दोनों सबसे बड़े विकासशील देशों को मिलकर इन कठिनाइयों का सामना करना चाहिए.” ​

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