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सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ कानून पर रोक न लगाकर भी कैसे मुस्लिम पक्ष को दे दी राहत

वक्फ कानून की संवैधानिकता पर आज सुप्रीम कोर्ट में दूसरे दिन की सुनवाई आधे घंटे के करीब चली. सुनवाई के दौरान ऐसा लगा जैसे मुख्य न्यायधीश संजीव खन्ना की अगुवाई वाली तीन जजों की बेंच अंतरिम आदेश देने के ही इरादे से बैठी थी. लेकिन फिर आदेश वाली बातों पर सरकार ही की तरफ से आश्वासन आ जाने के बाद अदालत ने अपनी तरफ से कोई आदेश नहीं दिया. इस तरह, अदालत की दखल के बाद सरकार से आए आश्वासन की वजह से मुस्लिम पक्ष को बड़ी राहत मिल गई. आइये जानें कैसे.

 

कैसे मुस्लिम पक्ष को मिली राहत

दरअसल, केंद्र सरकार ने कोर्ट को ये भरोसा दिया कि वक्फ संशोधन कानून के कुछ विवादित प्रावधानों को अदालत की अगली सुनवाई यानी 5 मई तक लागू नहीं किया जाएगा. इन प्रावधानों में सबसे अहम था कि वक्फ बोर्ड और काउंसिल में गैर-मुसलमानों को शामिल नहीं किया जाएगा. दूसरा – ऐसी संपत्ति जिसको अदालत ने वक्फ घोषित कर रखा है, उनके वक्फ के दर्जे में भी फिलहाल के लिए कोई बदलाव नहीं होगा. चीफ जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस पीवी संजय कुमार और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ के सामने सरकार की तरफ से ये आश्वासन सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दिया.

मेहता ने ये भी अदालत से कहा कि कानून का बचाव करने वालों को 7 दिन का समय दिया जाना चाहिए, जिससे वे याचिकाकर्ता और अदालत की तरफ से उठाए गए सवालों का जवाब दे सकें. मेहता ने भरोसा दिया कि तब तक नए कानून के तहत बोर्ड या फिर काउंसिल में किसी तरह की नियुक्ति नहीं होगी. साथ ही, वक्फ की वैसी सारी संपत्ति जिसे नोटिफाई या पिर गैजेट किया जा चुका है, उनकी स्थिति में कोई बदलाव नहीं होगा. सबसे अहम सरकार का अदालत से ये कहना था कि वक्फ बाय यूजर वाली वक्फ संपत्तियों की स्थिति में भी कोई बदलाव नहीं किया जा सकेगा.

 

इस आश्वासन के बाद अदालत ने सरकार को सात दिन का समय दिया. इन सात दिनों के भीतर सरकार अदालत के सामने ये जवाब देगी कि वक्फ संशोधन कानून के प्रावधानों पर क्यों न रोक लगाई जाए. याचिकाकर्ता कानून को पूरी तरह संविधान के मूलभूत अधिकारों का उल्लंघन मानते हैं. सरकार के जवाब दाखिल करने के पांच दिनों के भीतर याचिकाकर्ता भी अपना जवाब इस मुद्दे पर दाखिल करेंगे. इस मामले पर अगली सुनवाई 5 मई को होगी. अदालत ने ये भी साफ कर दिया है कि 5 मई को जब सुनवाई होगी तो उस दिन अंतरिम आदेश या फिर दिशानिर्देश देने पर सुनवाई की जाएगी.

पहले दिन की सुनवाई में क्या हुआ था

16 अप्रैल – बुधवार यानी कल हुई सुनवाई के दौरान ही सुप्रीम कोर्ट ने ये संकेत दे दिया था कि वो वक्फ संशोधन कानून के कुछ प्रावधानों पर अंतरिम रोक लगा सकता है. अदालत का कल केंद्र सरकार से किया गया ये सवाल काफी अहम था कि जिस तरह वो वक्फ बोर्ड और काउंसिल में गैर-मुसलमान सदस्यों को शामिल करने का प्रावधान ले आई है, क्या वो हिंदू समुदाय के धार्मिक ट्रस्ट में मुसलमान या फिर गैर हिंदू को जगह देने पर विचार कर रही है.

इस मामले में याचिकाकर्ताओं की तरफ से कपिल सिब्बल, राजीव धवन और अभिषेक मनु सिंघवी जैसे वरिष्ठ वकील पेश हुए थे. इन वकीलों ने ‘वक्फ बाय यूजर’ के सिद्धांत को खत्म करने, सरकारी अफसर को संपत्ति का मालिकाना हक तय करने की ताकत देने, सेंट्रल वक्फ काउंसिल और बोर्ड में गैर-मुसलमान सदस्यों को शामिल करने और नए संशोधन के जरिये धार्मिक मामलों को मैनेज करने को लेकर हासिल मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करने की दलीलें दीं थीं. वहीं, सरकार ने प्रावधानों को संविधान के हिसाब से दुरुस्त बताते हए संशोधन का बचाव किया.

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